विज्ञान और समाज के विभिन्न आयामों की खोज के लिए अंतः अनुशासनात्मक प्रयास अत्यंत आवश्यक होते जा रहे हैं। इसी दृष्टिकोण से महर्षि कणाद अन्तः अनुशासनात्मक शोध केन्द्र की स्थापना वर्ष 2021 में माननीय कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा के गतिशील नेतृत्व में की गई। इस केन्द्र का नाम महान वैदिक दार्शनिक महर्षि कणाद के नाम पर रखा गया है। महर्षि कणाद वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने यह सिद्ध किया कि पदार्थ अणुओं से बना है, और यह सिद्धांत उन्होंने आधुनिक युग के आणविक वैज्ञानिक जॉन डाल्टन से हजारों वर्ष पहले ही प्रस्तुत किया था। उनका मत था कि भौतिक जगत की उत्पत्ति अति सूक्ष्म कणों के संघटन से हुई है, इसी कारण वे 'आणविक सिद्धांत के जनक' के रूप में जाने जाते हैं। इस केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य अंतः अनुशासनात्मक प्रकृति के शोध को एक साझा मंच प्रदान करना तथा आधारभूत और अनुप्रयुक्त शोध के लिए आधुनिकतम शोध उपकरण उपलब्ध कराना है।
महर्षि कणाद अन्तः अनुशासनात्मक शोध केन्द्र की स्थापना इस उद्देश्य से की गई है कि विभिन्न विषयों के शोधकर्ता एवं वैज्ञानिक एक मंच पर आकर चुनौतीपूर्ण शोध कार्य कर सकें। इस केन्द्र की परिकल्पना शैक्षणिक कार्यक्रमों को शोध कार्यक्रमों से एकीकृत करने की है ताकि छात्रों में अत्याधुनिक शोध के प्रति उत्साह उत्पन्न किया जा सके।