परिचय
चंपारण महात्मा गांधी का कर्मभूमि रहा है; जिसने उन्हें ‘महात्मा’ बनाया। सभी जानते हैं कि गांधीजी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग यहीं चंपारण में किया था, जो देश में अपनी तरह का पहला था और जिससे उनके समकालीन साथियों के साथ-साथ ब्रिटिश हुकूमत का भी ध्यान आकर्षित हुआ। इस धरती ने उनके अंदर छिपे राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व करने की क्षमता को उजागर किया और उन्होंने इस स्थान को एक खुली प्रयोगशाला के रूप में अपनाया। इसी दृष्टिकोण से महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी ने “गांधी शोध केन्द्र” की स्थापना की है, ताकि महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध को प्रोत्साहित किया जा सके। यह केन्द्र चंपारण में गांधीजी और उनकी विरासत के अनछुए पहलुओं की खोज करने का प्रयास करता है।
उद्देश्य
गांधीवादी विचारों और उनके कार्यों पर अनुसंधान करने के लिए इस केन्द्र की स्थापना की गई है। केन्द्र के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- चंपारण में गांधीजी की विरासत पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।
- गांधीजी के विचारों और दर्शन पर अनुसंधान करना।
- विश्व स्तर पर गांधीजी के कार्यों पर अनुसंधान करना।
- चंपारण और बिहार में गांधीजी के अनछुए कार्यों की खोज करना।
- स्थानीय समुदाय के समावेशी विकास के लिए गांधीवादी ढांचा विकसित करना।
- सामाजिक अनुसंधान हेतु गांधीवादी पद्धतिगत दृष्टिकोण विकसित करना।
- स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को समझने के लिए गांधीवादी ढांचा विकसित करना।
- सतत विकास और शांति के लिए गांधीवादी नीति ढांचा विकसित करना।
दायरा
21वीं सदी में महात्मा गांधी सबसे अधिक स्वीकार किए जाने वाले व्यक्तित्व हैं और वैश्विक बुद्धिजीवी एवं संस्थाएं यह स्वीकार करती हैं कि स्थायी शांति का विचार केवल महात्मा गांधी के मार्ग का अनुसरण करके ही प्राप्त किया जा सकता है। अतः, महात्मा गांधी के विचारों और विरासत पर अनुसंधान करने के लिए केन्द्र के पास अनेक संभावनाएं हैं। प्रारंभ में केन्द्र निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है:
- उदारीकरण और उपभोक्तावाद के बढ़ने से समाज में डेस्कार्टियन विभाजन (मन और शरीर की द्वैतता) तेजी से बढ़ रहा है। गांधीवादी दर्शन इस खाई को पाटने की क्षमता रखता है।
- आजकल समाज अचानक से हिंसक हो गया है। हिंसा के कई अदृश्य/संरचनात्मक रूपों की पहचान हो रही है, जो हमारे समाज को गंभीर रूप से नष्ट कर रहे हैं। केन्द्र इन मुद्दों पर अनुसंधान के लिए कार्य कर सकता है।
- समुदायों के भीतर और विभिन्न समुदायों/हितधारकों एवं राज्य के बीच संघर्ष तेजी से बढ़ रहे हैं। इन संघर्षों को प्रबंधित करने के नव-उदारवादी प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में गांधीवादी दर्शन उपयोगी हो सकता है। केन्द्र इस दिशा में कार्य कर सकता है।
- नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, केन्द्र के पास राजनीति विज्ञान, गांधी और शांति अध्ययन, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, सामाजिक कार्य, सामुदायिक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, योग आदि विभिन्न विषयों के साथ अंतर्विषयक अनुसंधान की अपार संभावनाएं हैं।
- कोविड-19 महामारी के अभूतपूर्व प्रकोप के बाद विश्व गांधीजी के स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के दर्शन की ओर देख रहा है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी "स्थानीय के लिए मुखर" (Vocal for Local) का नारा दिया है। इस परिप्रेक्ष्य में केन्द्र के पास नीतिगत सुझावों पर कार्य करने की व्यापक संभावना है।
- उपर्युक्त क्षेत्रों के अतिरिक्त केन्द्र समय की आवश्यकता के अनुसार नए क्षेत्रों और पहलुओं को भी जोड़ सकता है।
शैक्षणिक गतिविधियाँ
केन्द्र निम्नलिखित शैक्षणिक गतिविधियाँ संचालित करेगा:
- केन्द्र अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सेमिनार, सम्मेलन एवं संगोष्ठियों का आयोजन करेगा।
- केन्द्र भारत और विदेशों के प्रतिष्ठित विद्वानों और गांधीवादी कार्यकर्ताओं के विशिष्ट व्याख्यान आयोजित करेगा।
- भविष्य में केन्द्र गांधीवादी विचारों पर प्रमाणपत्र या डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ कर सकता है।
- केन्द्र क्विज प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता आदि जैसी विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांधीवादी विचारों को प्रचारित करेगा।
- केन्द्र भ्रमण और नुक्कड़ नाटक जैसी शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय समुदाय के साथ जुड़ने का प्रयास करेगा।
- केन्द्र गांधीवादी विचारों पर आधारित इंटर्नशिप प्रकार के कार्यक्रम की शुरुआत कर सकता है।
- केन्द्र सफाई, शराब निषेध, अस्पृश्यता आदि गांधी के विभिन्न शिक्षाओं पर स्थानीय जनसमुदाय को जागरूक करने का प्रयास करेगा।
अनुसंधान गतिविधियाँ
केन्द्र निम्नलिखित अनुसंधान गतिविधियाँ संचालित करेगा:
- केन्द्र मुख्य रूप से चंपारण में गांधी की विरासत पर अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
- केन्द्र गांधी के विचारों, दर्शन और कार्यों पर अनुसंधान करेगा।
- केन्द्र अनुसंधान परियोजनाएं शुरू करने का प्रयास करेगा।
- केन्द्र विभिन्न फंडिंग एजेंसियों से लघु/प्रमुख परियोजनाएं प्राप्त करने का प्रयास करेगा।
- केन्द्र गांधी पर अनुसंधान मोनोग्राफ प्रकाशित करेगा।
- केन्द्र एक शोध पत्रिका निकालने का प्रयास करेगा।
- भविष्य में केन्द्र गांधी पर व्यक्तिगत अनुसंधान के लिए फेलोशिप शुरू कर सकता है।
- केन्द्र देश और विदेश के अन्य केन्द्रों या विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग स्थापित करने का प्रयास करेगा ताकि उक्त क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा मिल सके।
- चूंकि केन्द्र बहुविषयक प्रकृति का है, इसलिए जो उम्मीदवार राजनीतिक विज्ञान, गांधी एवं शांति अध्ययन, समाजशास्त्र, सामाजिक कार्य, शिक्षा और अर्थशास्त्र जैसे विषयों में पीएच.डी. कार्यक्रम में प्रवेश नहीं ले पाए हैं, वे (यदि विश्वविद्यालय की सक्षम प्राधिकारी अनुमति देती है) स्ववित्तपोषित आधार पर और विश्वविद्यालय फेलोशिप के बिना (यदि सीटें उपलब्ध हैं) केन्द्र में पीएच.डी. कार्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा प्रदत्त जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) प्राप्त उम्मीदवार फेलोशिप के लिए पात्र हो सकते हैं।
- केन्द्र पीएच.डी. कार्यक्रम के लिए आवेदन आमंत्रित कर सकता है।
प्रारंभिक एक वर्ष की योजना
केन्द्र स्थापना के प्रारंभिक एक वर्ष में निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करेगा:
- केन्द्र राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर का सेमिनार आयोजित करने का प्रयास करेगा (संभवतः ऑनलाइन)।
- केन्द्र गांधीवादी विचारों और विशेष रूप से चंपारण में उनकी विरासत पर एक सप्ताह का कार्यशाला आयोजित करने का प्रयास करेगा।
- केन्द्र महात्मा गांधी पर एक संपादित मोनोग्राफ प्रकाशित करने का प्रयास करेगा।
- केन्द्र समन्वयक एक लघु/प्रमुख अनुसंधान परियोजना लाने का प्रयास करेगा।